Dussehra 2024: विजयदशमी का महत्त्व
Dussehra, जिसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है। यह अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है और इसे पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान राम की रावण पर जीत और देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय का उत्सव है। 2024 में दशहरा 12 अक्टूबर या 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जिसे लेकर कुछ असमंजस है, लेकिन दोनों ही तिथियाँ महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
Dussehra का पौराणिक महत्त्व
दशहरे का प्रमुख महत्त्व भगवान राम और रावण के युद्ध से जुड़ा है। रावण द्वारा सीता का हरण करने के बाद, भगवान राम ने उसे पराजित कर अपनी पत्नी को मुक्त कराया। इसके साथ ही, इस दिन को देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय से भी जोड़ा जाता है। महिषासुर एक असुर था जिसे देवी दुर्गा ने नौ दिनों के घोर युद्ध के बाद पराजित किया था।
यह दिन अच्छाई की बुराई पर जीत, सत्य की असत्य पर विजय और धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक है। दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई के नाश का संकेत है।
We Himachalis warmly invite you to experience the vibrant Kullu Dussehra festival from 13th to 19th October. Come, witness the Kullu Valley awash in saffron shades, echoing with the divine chants of Lord Raghunath Ji and our revered Devi-Devtas. #KulluDussehra #HimachalPradesh pic.twitter.com/S0YADYOwqJ
— Nikhil saini (@iNikhilsaini) October 11, 2024
दशहरे का महत्व और धार्मिक दृष्टिकोण
Dussehra को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन समाज में बुराइयों का अंत करने का संदेश दिया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इस दिन रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें रामायण के प्रसंगों का मंचन होता है और भगवान राम की विजय का गुणगान किया जाता है।
Dussehra 2024 का शुभ मुहूर्त और तिथि
2024 में, Dussehra के लिए सही तिथि और शुभ मुहूर्त को लेकर दो तिथियाँ चर्चा में हैं—12 अक्टूबर और 13 अक्टूबर। दशमी तिथि की शुरुआत 12 अक्टूबर की शाम 5:44 बजे से होगी और 13 अक्टूबर की शाम 3:14 बजे समाप्त होगी। इस कारण कुछ लोग 12 अक्टूबर को दशहरा मना सकते हैं, जबकि कुछ 13 अक्टूबर को मनाने का विचार कर रहे हैं।
शुभ मुहूर्त के अनुसार, दशहरा पूजा और रावण दहन के लिए दिन का समय उत्तम माना जाता है। यह मुहूर्त विजय और सुख-समृद्धि की ओर इशारा करता है।
दशहरे पर दान का महत्त्व और नियम
दशहरे के दिन दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है, लेकिन इसके कुछ नियम भी होते हैं। कुछ चीज़ों का दान करना अशुभ माना जाता है। 2024 में दशहरे पर किन चीज़ों का दान नहीं करना चाहिए, इस पर ध्यान देना जरूरी है ताकि जीवन में समृद्धि और शांति बनी रहे।
- लोहे की वस्तुएं: दशहरे पर लोहे की वस्तुओं का दान अशुभ माना जाता है।
- काले रंग की वस्त्र: इस दिन काले रंग के वस्त्र दान नहीं करने चाहिए, क्योंकि इसे नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है।
- तेल: दशहरे पर तेल का दान भी वर्जित माना गया है, इससे धन हानि हो सकती है।
- नमक: नमक का दान भी इस दिन अशुभ माना जाता है, इसे परिवार की सुख-शांति पर प्रभाव डालने वाला कहा गया है।
दशहरे की अन्य धार्मिक मान्यताएँ
Dussehra केवल पूजा और दान तक सीमित नहीं है। इस दिन को शुभ कार्यों की शुरुआत के लिए भी उचित माना जाता है। व्यवसायिक कार्यों, नए वस्त्र पहनने और नए घर में प्रवेश करने के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर हथियारों और औजारों की पूजा का भी महत्व है। इस दिन व्यापारी अपने खातों की शुरुआत करते हैं और किसान अपने औजारों की पूजा करते हैं।
विभिन्न क्षेत्रों में दशहरे का उत्सव
भारत के विभिन्न राज्यों में दशहरे को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह मुख्य रूप से रावण दहन के रूप में जाना जाता है, जबकि पश्चिम बंगाल में इसे दुर्गा पूजा के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। मैसूर में दशहरे का उत्सव अद्वितीय होता है, जहाँ हाथियों का जुलूस और राजा की शोभायात्रा आयोजित की जाती है।
Dussehra और पर्यावरण
दशहरे के दौरान रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशाल पुतलों का दहन पर्यावरण को भी प्रभावित करता है। प्रदूषण और ध्वनि के कारण स्वास्थ्य और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए कई जगहों पर इस त्योहार को अधिक पर्यावरण-अनुकूल तरीके से मनाने के प्रयास हो रहे हैं।
निष्कर्ष
Dussehra एक ऐसा पर्व है जो हमें सिखाता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में विजय सत्य और धर्म की होती है। 2024 का दशहरा हमें इसी संदेश को याद दिलाता है और जीवन में सच्चाई, ईमानदारी और अच्छाई के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन को उत्साह और श्रद्धा से मनाएं और समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करने का संकल्प लें।
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